मुंबई हमलों में विदेशी नागरिकों के मारे जाने से (जिनमे अमेरिका, ब्रिटेन सहित तमाम देशों के नागरिक थे ) भारत को आतंकवाद के ख़िलाफ़ पाकिस्तान को घेरने का मौका हाथ लग गया है। इस मुहिम में अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर भारत को दुनिया के तमाम देशों से समर्थन भी हासिल हुआ है। लेकिन इस सिलसिले में सबसे दिलचस्प है अमेरिका का रुख जो लगातार पकिस्तान पर दबाव बनाये हुए है। "लख्वी" को भारत को सौंपने का निर्देश इस श्रृंखला की एक कड़ी है। तो क्या ये मान लिया जाए की अमेरिका के लिए अब पाकिस्तान की उपयोगिता समाप्त हो गई है और वह भारत को पाकिस्तान के ऊपर तरजीह देने को तैयार है ?? सतही तौर पर देखने से ऐसा प्रतीत हो सकता है कि अमेरिका ने भी अब enough is enough का रुख अख्तियार कर लिया है। किंतु गहरे से सोचें तो परतें कुछ अलग ही तरह से खुलती हैं।
१ अमेरिका इराक में अपने उद्देश्य में कामयाब हो चुका है (उसने वहां के तेल भंडारों पर कब्जा जमा लिया है और अपने सबसे बड़े दुश्मन सद्दाम को निपटा दिया है)।
२ इरान के परमाणु कार्यक्रम को सबसे ज्यादा मदद पाकिस्तान से मिलने की संभावना है अतः पाकिस्तान के कान उमेठना जरूरी हैं परन्तु अफगानिस्तान की फांस के चलते वह सीधे तौर पर पकिस्तान को नही निपटाना चाहता । इस घटना से उसे भारत के रूप में एक कन्धा मिल गया है अपनी बन्दूक को चलाने के लिए।
३ भारत के रूप में उसे एक ऐसा साझीदार मिल सकता है जो उसे एशिया में चीन के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ एक मजबूत आधार प्रदान कर चीन पर दबाव बनने में मदद करेगा बल्कि एक बड़ा बाज़ार भी प्रदान करेगा जिसकी अमेरिका को इस समय बेहद जरूरत है।
४ अमेरिका को अपने नए विकसित हथियारों के लिए एक सजीव युद्ध भूमि चाहिए जहाँ न सिर्फ़ उनकी मारक क्षमता का सही आंकलन हो सके बल्कि उसे उसके संभावित खरीदारों को प्रर्दशित भी किया जा सके । भारत - पकिस्तान के बीच एक सीमित युद्ध से बढ़िया मौका और क्या हो सकता है। इस बहाने पकिस्तान को उसके पैजामे में वापस भेजा जा सकता है।
५ हथियार उद्योग अमेरिका का सबसे बड़ा उद्योग है और तकरीबन सभी अन्य उद्योग उससे किसी न किसी रूप से जुड़े हुए है चाहे अत्याधुनिक हथियार हों, संचार साधन हों, सैनिको के कपडे और अन्य साजो सामान हो या फिर उनके खाने पीने की वस्तुएं । अमेरिका में मंदी और प्रतिगामी विकास दर के चलते भारत - पाकिस्तान के बीच युद्ध इन्हे संजीवनी प्रदान कर सकता है।
इस प्रकार भारत - पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध अमेरिका के कई हित साध सकता है ।
भारत के लिए फायदे की बात यह है कि पाकिस्तान स्वयं भी युद्ध नही चाहता और इसकी संभावना से भयभीत है क्योंकि वह जानता है कि भारत के साथ सीधी लडाई उसके लिए विनाश का कारण होगी क्योंकि न तो उसके पास भारत जितनी ताकत है और ना नैतिक बल। अतः भारत को चाहिए कि वह अपनी मांगो पर डटा रहे और दबाव बनाये रखे साथ ही युद्ध के लिए तैयार रहे और युद्ध होने की स्थिति में आर या पार की लड़ाई लड़े।
Mai apnee 29 Novembereki tippanee khojne aaye thee, lekin mujhe kahin mil nahee rahee...jab vo sandarbh dekh letee to apne e-mail box khoj sakti thee !
जवाब देंहटाएंKshama karen....mai aapka lekh padhke phir tippanee dena chahungi....iswaqt to "page load erroe" ki wajahse jabtak aapka blog khula, meree doc injection leke haazir hai...!
Aaapki tippaneeke behad shukraguzaar hun...naye saalki tamanna apnehi blogpe likh doongi, saath shubhkamnayenbhi !
हिन्दी के ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं…
जवाब देंहटाएंनववर्ष् की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंभावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
bahut sahi ....accha likha hai aapne....
जवाब देंहटाएंमुझे नहीं लगता की अमेरिका भारत के पक्ष में है, मुझे हमेशा अमेरिका चालबाज़ और स्वार्थी लगता है। बहरहाल आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं। लिखते रहें
जवाब देंहटाएंनववर्ष की शुभ कामनाओं के साथ चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ..............
आसमाँ ने सितारों जड़ी ओढ़ के चादर
जवाब देंहटाएंज़मीं का हाथ पकड़कर कहा !चलो मेरी जान
अपनी औलाद जिसे दुनिया कहती हैं इंसान
उसकी खुशियों के वास्ते आओ एक दुआ मांगे .
सारे संसार की हर एक ख़ुशी उन्हें देना मेरे मौला
उनके सपनो को ताबीर हासिल हो किसी भी हाल
उनकी दौलत,शोहरत और इज्ज़त मे हो खूब इजाफा
उनकी हर ख्वाहिश को साकार बनाये नया साल .
"दीपक" देहरी पर तेरी जलाते हैं हम ऐ जगतारक
औलादें सब कुदरत की सबको नया साल मुबारक .
कवि दीपक शर्मा
सर्वाधिकार सुरक्षित @कवि दीपक शर्मा
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उम्मीदों-उमंगों के दीप जलते रहें
जवाब देंहटाएंसपनों के थाल सजते रहें
नव वर्ष की नव ताल पर
खुशियों के कदम थिरकते रहें।
नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं।
सभी सुधी पाठकों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंफरवरी,२००८ में ब्लॉग बनाया था परन्तु उसे aggregator के साथ जोड़ना न जान पाने की वजह से ये नहीं जान पाया की इसे कोई पढता भी है या नहीं . अपनी रचना के उत्तर में टिप्पणिया देखकर उत्साहवर्धन हुआ और अब मैं निरन्र्तर लिखने हेतु कृतसंकल्प हूँ. सभी टिप्पणी देने वाले सुधी पाठकों का भी हार्दिक धन्यवाद की उन्होंने एक नवागंतुक को इतनी गर्मजोशी से अपनाया.
tnx
जवाब देंहटाएंमुझे तो किसी पर यकीन नहीं, आपको नये साल की मुबारकबाद
जवाब देंहटाएंआपका विश्लेष्ण सही है। अमेरिका की विदेश नीति देश हित में है
जवाब देंहटाएंभारत के हित में तब होगा जब दोनो के हित एक हो।
http://gyansindhu.blogspot.com
आज का दिन ऐतिहासिक है (क्योंकि) मैं आपके ब्लाॅग पर आया हूँ।
जवाब देंहटाएंदरअसल......
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूंऽऽऽऽऽऽऽ
(और बधाई भी देता चलूं...)
aapane bilkul sahi kaha hai shuruaat ke liye bdhaai
जवाब देंहटाएंdesh ki chinta pr ek jvalant prashn utha kr aapne sabko is visaye pr sochne pr majboor kr diya.... Amrica vah bhi Bharat k pakch me....?
जवाब देंहटाएंBehtareen Blog...Posts Sateek aur Samyik lagi...ab toh aanajaana bana rahega...Mere Blog par apne padchinh chhodne ke liye tahe dil se shukriya
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंGood article. America has never been friend of India. It is India who is purchasing Americas scrap on very high cost.
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