गुरुवार, 5 नवंबर 2009

आईये बिस्मिल्लाह करें वंदे मातरम से.......


वन्दे मातरम
वन्दे मातरम
वन्दे मातरम
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मित्रों, वन्दे मातरम के
इतिहास, महत्व और गरिमा से सभी परिचित हैं। इस एक गीत और वन्दे मातरम के नारे ने अंगरेजों की नींव हिला दी और उन्हें बंगाल विभाजन को वापस लेने पर मजबूर कर दिया. इस गीत और नारे से भयभीत होकर अंगरेजों ने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया और हजारों देशभक्तों ने उस प्रतिबन्ध को वन्देमातरम के उदघोष से भंग किया. उन्होंने लाठियाँ खाई, गोली खाई, कालापानी झेला लेकिन वन्दे मातरम को एक क्षण के लिए भी दिल से दूर न किया. आज हम एक स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं तो यह हमारे पूर्वजों के महान बलिदान का फल है. फिर इस बलिदान की गरिमा और स्मृति के इस पवित्र चिन्ह की रक्षा करना क्या हमारा कर्तव्य नहीं है??? आज जब इस पवित्र गीत (जो कि हमारे देश का राष्ट्रगीत भी है) का कुछ लोगों द्वारा यह कहकर विरोध किया जा रहा है कि उनके धर्म के विरुद्ध है, तो हमारा कर्तव्य है कि हम साजिश का विरोध करें।

कैसे????

आइये संकल्प करें कि हम अपनी प्रत्येक पोस्ट और टिप्पणी का आरम्भ "वन्दे मातरम" से और समापन "जयहिंद" से करेंगे.

उन्हें वन्दे मातरम से परहेज है लेकिन हमें तो नहीं...........

जयहिंद
हिंद
जयहिंद