गुरुवार, 23 जुलाई 2009

सच का सामना या दर्शकों को टोपी??????????

यह सच का सामना है या दर्शकों को बेवकूफ बनाने के लिए नूरा कुश्ती हो रही है कहने का मतलब कि.......................

हम जो कहें वह जवाब दीजिये। उसे हम अपने मुताबिक (दर्शकों के रोमांच का ख्याल रखते हुए) सही या गलत ठहराएंगे।

आप अपने पैसे से मतलब रखिये और हमें भी कमाने दीजिये। हाँ! इसके लिए आपको समाज में थोडी शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है, परन्तु इतने पैसों के लिए आप इतना बलिदान तो कर ही सकतें हैं।

फिर भारतीय पब्लिक तो अल्प-स्मृति से ग्रस्त है. और हम इसे इतना ग्लेमर प्रदान कर रहें हैं कि भ्रष्टाचार या समलैंगिकता की तरह इसे भी सामाजिक मान्यता मिल जायेगी।

क्या एक सोची -समझी साजिश के तहत भारतीय मूल्यों को तार - तार नहीं किया जा रहा ?


या फिर यह बन्दर के हाथ में उस्तरे वाला मामला है?