गुरुवार, 1 जनवरी 2009

क्या अमेरिका सचमुच भारत के पक्ष में है ????

मुंबई हमलों में विदेशी नागरिकों के मारे जाने से (जिनमे अमेरिका, ब्रिटेन सहित तमाम देशों के नागरिक थे ) भारत को आतंकवाद के ख़िलाफ़ पाकिस्तान को घेरने का मौका हाथ लग गया है। इस मुहिम में अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर भारत को दुनिया के तमाम देशों से समर्थन भी हासिल हुआ है। लेकिन इस सिलसिले में सबसे दिलचस्प है अमेरिका का रुख जो लगातार पकिस्तान पर दबाव बनाये हुए है। "लख्वी" को भारत को सौंपने का निर्देश इस श्रृंखला की एक कड़ी है। तो क्या ये मान लिया जाए की अमेरिका के लिए अब पाकिस्तान की उपयोगिता समाप्त हो गई है और वह भारत को पाकिस्तान के ऊपर तरजीह देने को तैयार है ?? सतही तौर पर देखने से ऐसा प्रतीत हो सकता है कि अमेरिका ने भी अब enough is enough का रुख अख्तियार कर लिया है। किंतु गहरे से सोचें तो परतें कुछ अलग ही तरह से खुलती हैं।
१ अमेरिका इराक में अपने उद्देश्य में कामयाब हो चुका है (उसने वहां के तेल भंडारों पर कब्जा जमा लिया है और अपने सबसे बड़े दुश्मन सद्दाम को निपटा दिया है)।
२ इरान के परमाणु कार्यक्रम को सबसे ज्यादा मदद पाकिस्तान से मिलने की संभावना है अतः पाकिस्तान के कान उमेठना जरूरी हैं परन्तु अफगानिस्तान की फांस के चलते वह सीधे तौर पर पकिस्तान को नही निपटाना चाहता । इस घटना से उसे भारत के रूप में एक कन्धा मिल गया है अपनी बन्दूक को चलाने के लिए।
३ भारत के रूप में उसे एक ऐसा साझीदार मिल सकता है जो उसे एशिया में चीन के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ एक मजबूत आधार प्रदान कर चीन पर दबाव बनने में मदद करेगा बल्कि एक बड़ा बाज़ार भी प्रदान करेगा जिसकी अमेरिका को इस समय बेहद जरूरत है।
४ अमेरिका को अपने नए विकसित हथियारों के लिए एक सजीव युद्ध भूमि चाहिए जहाँ न सिर्फ़ उनकी मारक क्षमता का सही आंकलन हो सके बल्कि उसे उसके संभावित खरीदारों को प्रर्दशित भी किया जा सके । भारत - पकिस्तान के बीच एक सीमित युद्ध से बढ़िया मौका और क्या हो सकता है। इस बहाने पकिस्तान को उसके पैजामे में वापस भेजा जा सकता है।
५ हथियार उद्योग अमेरिका का सबसे बड़ा उद्योग है और तकरीबन सभी अन्य उद्योग उससे किसी न किसी रूप से जुड़े हुए है चाहे अत्याधुनिक हथियार हों, संचार साधन हों, सैनिको के कपडे और अन्य साजो सामान हो या फिर उनके खाने पीने की वस्तुएं । अमेरिका में मंदी और प्रतिगामी विकास दर के चलते भारत - पाकिस्तान के बीच युद्ध इन्हे संजीवनी प्रदान कर सकता है।
इस प्रकार भारत - पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध अमेरिका के कई हित साध सकता है ।
भारत के लिए फायदे की बात यह है कि पाकिस्तान स्वयं भी युद्ध नही चाहता और इसकी संभावना से भयभीत है क्योंकि वह जानता है कि भारत के साथ सीधी लडाई उसके लिए विनाश का कारण होगी क्योंकि न तो उसके पास भारत जितनी ताकत है और ना नैतिक बल। अतः भारत को चाहिए कि वह अपनी मांगो पर डटा रहे और दबाव बनाये रखे साथ ही युद्ध के लिए तैयार रहे और युद्ध होने की स्थिति में आर या पार की लड़ाई लड़े।