कभी - कभी राह चलते -चलते या फिर किताबों के पन्ने पलटते हुए ही कुछ रोचक वाकये या पंक्तियों से रूबरू होने का मौका जिंदगी में सभी को मिल जाता है जैसे कि -
" भारतीय शिक्षा पद्धति रास्ते के किनारे पड़ी हुई उस कुतिया के समान है जिसे कोई भी राह चलते दो लात लगा सकता है"- श्रीलाल शुक्ल (रागदरबारी)
"हर पुरूष की सफलता के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है ......... जो उसे असफलता की ओर धकेलने को प्रयासरत रहती है"- सन्दर्भ याद नही।
मित्रों कल दोपहर टी वी चैनल बदलते हुए एक फ़िल्म पर नजर पड़ी। कोई दक्षिण भारतीय फ़िल्म थी जिसे हिन्दी में डब किया गया था । दृश्य यह था कि अंग्रेजी सिखाने की क्लास चल रही है और अध्यापक अंग्रेजी का महत्व समझाते हुए कह रहा है-
" बेटा ! हिन्दी हमारी माँ है जिसकी जरूरत सिर्फ़ पाँच या सात साल के लिए होती है लेकिन अंग्रेजी पत्नी के समान है जिसकी जरूरत जीवन भर पड़ती है।"
होली की शुभकामनाये. बुरा न मानो होली है........
रविवार, 8 मार्च 2009
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