शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

स्लमडॉग, क्रिकेट, कश्मीर और गुलाबी चड्ढी..........

एक भारतीय??? फिल्म स्लमडॉग मिलेनिअर को ऑस्कर मिला. सारा देश और खासकर फिल्म जगत गदगद है. जय हो!!!

अभी कल - परसों ही न्यूज़ चैनलों में ये खबर चलनी शुरू हुई कि इस फिल्म के बाल कलाकारों के लिए इस शोहरत का खुमार उतारने का कार्य किया एक जोरदार झापड़ ने.......... जी हाँ! और ये झापड़ पड़ा दस वर्षीय अजहरुद्दीन मोहम्मद इस्माईल को जो मुंबई की एक झोपड़पट्टी से उठकर रातोरात ऑस्कर जीतने वाली टीम का हिस्सा बन गया लेकिन उसकी गुस्ताखी देखिये - उसने लम्बी हवाई यात्रा में थक जाने के कारण सोने की इच्छा जताई और घर के बाहर भीड़ लगाये मीडिया वालों को इंटरव्यू देने से इनकार कर दिया. उसके पिता को उसकी ये मासूम शोखी नागवार गुजरी और फिर एक जोरदार झापड़ ने अजहरुद्दीन की नीद का खुमार उतार दिया. इस मसले पर शोरशराबा जारी है और मंगलोर के निवासियों को तालिबानी घोषित कर देने वाली हमारी माननीय केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री रेणुका चौधरी ने इस मामले की जाँच के आदेश दे दिए है. आखिर उन्हें महिलाओं और बच्चों की इतनी फिकर जो है....

अब जरा दूसरी खबर को देखें............

भारतीय कश्मीर (चूँकि अब दस्तावेजों में इसे इसी नाम से जाना जाता है) में अनेको आतंकवादी संगठन सक्रिय है जो विदेशी पैसे और कठमुल्लेपन के जुनून में इस धरती के स्वर्ग को नर्क बना चुके है. इन्ही आतंकवादी संगठनो का एक महिला प्रकोष्ठ है दुख्तराने - मिल्लत (मजहब की बेटियाँ).इस संगठन की प्रमुख हैं असिया अंदराबी. इनके पति शौकत अहमद उर्फ़ कासिम आतंकवादी कमांडर रह चुके हैं और फिलहाल जेल में है. मोहतरमा स्वयं भी जब तब अपने कारनामों के वजह से जेल या नजरबंदी में रहती हैं. इन्हें सभी भारतीय फिल्म अश्लील प्रतीत होती है और ये घाटी में उनके पोस्टरों पर कालिख पोता करती है. इन्हें बगैर बुरखे वाली लड़कियां और स्त्रियाँ चरित्रहीन और अशोभनीय लगती हैं .हिजबुल मुजाहिदीन के साथ 1993 में इन्होने कश्मीर में ये फरमान जारी किया कि सभी लड़कियां और स्त्रियाँ बुरखा पहने वरना अंजाम भुगतने को तैयार रहें. इनके भाइयों (आतंकवादियों) ने कई स्त्रियों के पैरों पर गोली मार दी जो इनके लिहाज से शालीन और शरीयत की तजवीज के अनुसार पोशाक नहीं पहने थी. इनके कार्यकर्ताओं?? ने बिना बुरखे वाली औरतों के चेहरे पर तेजाब भी फेंक दिया. इन्हें बहुविवाह प्रथा में कोई बुराई नहीं दिखती और इन्ही के शब्दों में - "मुझे अपने घर में मेरे शौहर की अन्य बीवियों के साथ रहने में अत्यंत प्रसन्नता होगी।"

इन्ही मोहतरमा का बेटा जिसका नाम इन्होने रखा है मुहम्मद बिन कासिम (जी हाँ!! सिंध का लुटेरा और भारत का पहला मुस्लिम आक्रमणकारी)। बरखुरदार को क्रिकेट खेलने का शौक और बकौल इनके जूनून है. जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन की अंडर 16 टीम में चुन भी लिए गए लेकिन इनकी माँ ने हुक्म सुनाया- क्रिकेट को चुनो या फिर माँ - बाप को!! मजबूर बालक को माँ - बाप चुनने पड़े. असिया को भय है की कहीं उनका बेटा भारतीय टीम के लिए भी ना चुन लिया जाये क्योंकि भारत विरोध ही तो उनके आन्दोलन की बुनियाद है. उन्हें यह भी डर है कि क्रिकेट में मिलने वाले करोडो रुपयों कि चमक के आगे उनका बेटा कही अपने माँ-बाप की सनक को भूल ना जाए.


सुन रही है रेणुका जी ?? क्या आप मोहतरमा अंदराबी को भी नोटिस भेजेंगी या फिर कश्मीर भारत के कानून के दायरे से बाहर है?? मैं जानता हूँ आप ऐसा नहीं कर पाएँगी। दरअसल माननीय मत्री महोदया को बच्चो और महिलाओं की नहीं बल्कि मीडिया और कैमरों की ज्यादा चिंता रहती है. जहाँ बगैर किसी राजनीतिक खतरे के मुफ्त की पब्लिसिटी मिल जाये वहां मुंह चलाने में क्या हर्ज है? भारत में जाने कितने अजहर यहाँ - वहां अपने माँ- बाप और मालिकों से रोज पिटते रहते है परन्तु मंत्री महोदया को जब "स्लमडॉग" के बहाने फोटो खिचाने का बेहतरीन मौका हाथ लग रहा हो तो फिर गली मोहल्ले में कोई राजू -पप्पू पिटता रहे उनकी बला से।


गुलाबी चड्ढी अभियान की कर्ता-धर्ता जरा बतायेंगी (यदि वे अब भी होश में हैं) क्या वे असिया अंदराबी को भी गुलाबी.......मेरा मतलब है ....... कुछ भेजने की कृपा करेंगी??

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